पोषण हमारे जीवन का एक अहम् हिस्सा #Poshan hamare jiwan ka aham hissa

डाइट चार्ट कैसे बनायें,कैलोरी प्रोटीन कैसे काउंट करें इसकी भी जानकारी आपको देंगे |
आज़ पोषण से सबंधित कुछ रोचक जानकारियां लेकर आयें हैं -
1. हमारे पोषण में ये तीन चीज़ें और इनकी अधिकता हमारी उम्र के दस वर्ष तक कम कर सकती हैं। और ये बिमारियों के हम शिकार हो सकते हैं वे तीन चीज़ें ये हैं -
शक्कर, नमक, सैचुरेटेड फैट
दरअसल उपरोक्त तीनों चीज़ों की अधिक मात्रा सालों तक लेने पर एक धीमे ज़हर का काम करती हैं।
लेकिन रोचक बात अब शुरू होती है जो आपको नहीं पता होगी।
वह यह कि क्या कभी आप सोचते है कि मीठी, नमकीन या तली हुई, वसा, चीज़, घी, मक्खन युक्त चीज़ें हमें क्यूँ पसंद होती हैं और बच्चों को क्यों ..चिप्स,चॉकलेट, केक, पिज़्ज़ा,बर्गर,मिठाई पसंद होता है।
तो जब शक्कर और फैट हमारे शरीर के लिए नुकसानदायक है तो फ़िर हमें पसंद क्यों है। ऐसा क्यूँ होता हैं जो चीज़ हमें नुकसानदायक है वहीँ हमें पसंद आती हैं, इसके लिए जिम्मेदार है वो भोज्य पदार्थ जो हमें ज़रूरी है |
आख़िर क्यूँ
प्राचीन काल में विकास क्रम में मनुष्य को कई कई दिनों तक भूखा रहना होता था, जब भोजन नियमित रूप से नहीं मिल पाता था, ऐसे हालत में शक्कर युक्त मीठे पदार्थ या वसा युक्त भोजन शरीर में ग्लाइकोजन अथवा चर्बी के रूप में जमा हो जाता था और खाना न मिलने पर एनर्जी देने का काम करते थे।
ग्लाइकोजन और चर्बी के भण्डारण की प्रक्रिया आज भी वैसे ही है पर आज कल हम लोग न उतने भूखे हैं और न ही खाने की उतनी कमी है, ऐसे में तमाम तरह की बीमारियाँ हो रही हैं, ये सब हमारा ही किया धरा है,
प्रकृति के विरुद्ध जा कर अप्राकृतिक तौर तरीकों को छोड़ कर अगर हम इन बातों को जीवन में अपनाएंगे तो कई बिमारिओं से बच सकते हैं |
कम वसा खाएं, शक्कर व नमक को कम खाना और साथ में व्यायाम को अगर हम अपने जीवन में शामिल कर लें तो अपने जीवन को सुचारु रूप से चला सकते हैं |
हम रोज़ ही कई सारे स्वाद और फ्लेवर्स को चखते हैं । अकेली चाय के ही अनगिनत स्वाद बता सकते हैं, हमारे लिए स्वाद के लिए सबसे महत्वपूर्ण अंग कौन सा है जी हाँ हमारी जीभ, पर ऐसा नहीं है जीभ के पास अपने रिसेप्टर्स होते हैं जो दिमाग को संकेत भेजते हैं,
जीभ केवल पाँच स्वाद पहचानती है... मीठा, नमक, कड़वा, खट्टा, और मांस (अजीनोमोटो में यही पांचवा स्वाद होता है)। जबकि नाक में हज़ारों फ्लेवर्स के रिसेप्टर्स होते हैं, क्या आप जानते हैं की अगर कोई नाक बंद करके यदि कोई खाये तो उसे वो मज़ा ही न आएगा। हमारे दिमाग को इन फ्लेवर्स की खुशबू से ही भूख लगने लगती है।
नाक स्वाद को ऐसे पहचानती है
दिमाग के भीतर मौजूद छोटा सा हिस्सा हैपोथॉलमस है। जिस तक जीभ और नाक के रिसेप्टर्स सन्देश पंहुचाते हैं। गर्भस्थ शिशु 24 हफ़्तों की गर्भावस्था के पश्चात माँ के द्वारा खाने वाली चीज़ों का स्वाद महसूस कर लेता है और रिस्पांस देता है |
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